जोबट =
भगवती देवी शर्मा शक्तिस्वरुपा मां थी ।
अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए माताजी हमेशा प्रयत्नशील रहती थी । गायत्री तपोभूमि और अखंड ज्योति संस्थान में रहने वाले , काम करने वाले , और आने जाने वाले सभी उनके बच्चे थे । वे गायत्री परिवार के प्रत्येक कार्यकर्ता की मां थी । मां कौन होती है ? इस विषय में उनकी अपनी मौलिक दृष्टि थी । बातचीत में वे कहा करती थी जन्म देने वाली जननी होती है लेकिन जो संतान को संस्कार देती है , संतान के जीवन को संभालने के लिए हर पल , हर क्षण प्रयत्न शील रहती है वही मां है ।
ये उदगार देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के छात्रध्यापक चेतन मेहर के द्वारा महिला मंडल गायत्री शक्तिपीठ जोबट के तत्वावधान में आयोजित माता भगवती देवी शर्मा जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये गये ।
महिला मंडल गायत्री शक्तिपीठ जोबट की कार्यवाहिका श्रीमती केशर राठौड़ ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ जोबट में प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी माता भगवती देवी शर्मा जयंती के अवसर पर नगर की सभी महिला भजन मंडलियों के द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में छात्राध्यापक नमन मिश्रा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । और माता भगवती देवी शर्मा के आध्यात्मिक जीवन और अखिल विश्व गायत्री परिवार के निर्माण में उनके योगदान से संबंधित संस्मरणों का उल्लेख किया ।
इस अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार के विडियो हमारे अंतरंग क्षण प्रवचन में माताजी ने परीक्षार्थी में दांपत्य जीवन कैसा हो यह बात अपने व गुरुजी के संस्मरणों को बहुत ही भावपूर्ण और मार्मिक ढंग से कहीं ।
भजनों की प्रस्तुति के अंतर्गत आधा है चंद्रमा सर पे तेरे सर्पो की माला गले में , तेरे चरणों में चारों धाम गायत्री माता याद रखना , देदे थोड़ा प्यार मां तेरा क्या घट जाएगा ? जैसे भजनों की प्रस्तुति श्रीमती विमला ओझा , श्रीमती सीता सक्सेना , श्रीमती सपना चौबे , श्रीमती मनोरमा वाणी आदि के द्वारा दी गई । आनंदित महिलाओं के द्वारा मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति भी दी गई । सुन्दरसिंह सेमलिया और उनके साथियों के द्वारा हरमोनियम और तबले की संगत मिली तो महिलाओं में उत्साह भर गया ।
इस अवसर पर गौमंदिर संचालक रजनीकांत वाणी , हिंदू धर्मादा ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र टवली , पूर्व मंडी अध्यक्ष श्रीमती ललिता श्रीवास्तव , श्रीमती सुमित्रा बर्वे , श्रीमती मंजुला माहेश्वरी के साथ ही बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं । कार्यक्रम में पियुष सोनी , संजय राठौड़ , अशोकजी वाणी आदि का सराहनीय योगदान रहा । ओमप्रकाश राठौड़ के द्वारा किये गये शांतिपाठ से कार्यक्रम का समापन किया गया ।